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NCF-2005
क्या है?
सबसे पहले हम आपको NCF-2005 की फुल फॉर्म बता देते है
| NCF-2005 की फुल फॉर्म है नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 | राष्ट्रीय पाठ्यचर्या
की रूपरेखा 2005 (NCF-2005) यह एक 180 पेज का ऐसा दस्तावेज है जिसके अंदर बच्चों
के उज्जवल भविष्य से संबंधित लगभग सभी विषयों पर चर्चा की गई है उस दस्तावेज के
अंदर निम्नलिखित चर्चाएं शामिल है जैसे कि –
- बच्चों
को क्या पढ़ाना चाहिए
- किस
प्रकार पढ़ाना चाहिए
- और
बच्चों को पढ़ाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आदि
अगर आप इन दस्तावेजों को पढ़ना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन पढ़ सकते हैं यह
दस्तावेज कुल 180 पेज का है | मान लीजिए आप टीचर बन गए तब आपको ट्रेनिंग दी जाएगी
और उस ट्रेनिंग के अंदर आपको NCF-2005 के बारे में बताया जाएगा कि –
- आप
को बच्चों को कैसे पढ़ाना है |
- और
बच्चों को पढ़ाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना है |
NCF 2005 – Highlights
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NCF का पूरा नाम |
National Curriculum Framework 2005 राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 |
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अध्यक्ष |
प्रो. यश पाल 35 सदस्यों के साथ विभिन्न विषयों के विद्वानों सहित, प्राचार्यों और शिक्षकों, प्रसिद्ध गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधित्व और NCERT के सदस्य। |
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प्रकाशित |
National Council of Educational Research and Training (NCERT) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) |
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श्रृंखला |
(चौथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा) 4th National Curriculum Framework |
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Before NCF 2005 |
NCF 1975, NCF 1988, NCF 2000 |
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After NCF 2005 |
NCF 2009, NCF 2014 |
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संबंधित मंत्रालय |
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार |
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उद्देश्य |
पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों के लिए एक दिशानिर्देश के रूप में कार्य करने
के लिए, और भारत में स्कूलों के लिए शिक्षण अभ्यास |
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 की उत्पत्ति
कैसे हुई ?
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 की उत्पत्ति रविंद्र नाथ टैगोर जी के
एक निबंध से हुई थी उस निबंध का नाम है “सभ्यता और प्रगति” इस निबंध के अंदर
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने बच्चों के बारे में बताया था कि उन्हें किस प्रकार की
शिक्षा देनी चाहिए जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सके |
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 का अनुवाद
संविधान की किस अनुसूची में किया गया है ?
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 का अनुवाद संविधान की आठवीं अनुसूची
में दी गई 22 भाषाओं में किया गया है | NCF-2005 के दस्तावेजों को नेशनल स्टेयरिंग
कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर यशपाल की अध्यक्षता में तैयार किया गया था |
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मार्गदर्शी
सिद्धांत –
मैं आपको पांच सिद्धांत के बारे में बताऊंगा जो की बहुत ही महत्वपूर्ण है
तो चलिए जानते हैं इनके बारे में मुख्य बिंदुओं में –
- NCF-2005
कहता है कि – बच्चों के ज्ञान को स्कूल के बाहर भी
जीवन से जोड़ा जाए जैसे कि – अगर आप उन्हें गाय के बारे में बताएं तो वह गाय
से संबंधित तथ्य सोचने लगेंगे, वह सोच सकते हैं कि आज सुबह ही तो मैंने गाय
को देखा था, जिसको मैंने रोटी खिलाई थी और गाय हमें दूध भी देती है जो हम शाम
को घर में लाते हैं तो इसी प्रकार के बाहरी जीवन के उदाहरण बच्चों को देने
चाहिए |
- NCF-2005
कहता है कि – बच्चों की पढ़ाई को रटन प्रणाली से
मुक्त किया जाए जैसे कि – बहुत से अध्यापक बच्चों को रटने के लिए कहते हैं कि
आप इसे रटन लीजिए और जब मैं आपसे सवाल पूछूंगा तब आप उसका उत्तर दे देंगे और
ऐसे ही आपको एग्जाम में भी करना है तो यह बिल्कुल गलत है आपको बच्चो को समझाना
है ताकि उन्हें समझ में आए और वह उस पढ़ाई का लाभ उठा सकें |
- NCF-2005
कहता है कि – बच्चों की पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक
केंद्रित ना हो बल्कि चहुमुखी हो जैसे कि – बहुत से अध्यापक सिर्फ किताब से
पढ़ा देते हैं उनका मतलब नहीं समजाते हैं जिससे बच्चो तक सही शिक्षा नहीं
पहुंच पाती है | तो वह हुआ पाठ्यपुस्तक केंद्रित पाठ्यचर्या |
- NCF-2005
कहता है कि – विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा को
विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से जोड़ा जाए और तब उन्हें पढ़ाया जाए | आप को
बच्चों को पढ़ाना होगा उन्हीं के जैसे बनकर यानी कि आपको भी बच्चा बनना
पड़ेगा और तब उन्हें समझाना होगा और फिर अपने हिसाब से उनको प्रेमपूर्वक
पढ़ाना होगा |
- NCF-2005
कहता है कि – राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान
विद्यार्थी तैयार किए जाएं चलिए इस बात को समझते हैं – मान लीजिए आप ने
बच्चों को पढ़ाया और आपने उस में ढील बरती या अन्य बात हो गई जिससे वह बच्चा
आगे चलकर कोई अनैतिक कार्य करने लगा जैसे की चोरी करना, डाका डालना, देश के
खिलाफ जाना, आदि और भी बहुत से अनैतिक कार्य करने लगा.. तब क्या फायदा हुआ उस
पढ़ाई का? कुछ नहीं हुआ, तो आपको पढ़ाते समय उनके नैतिक मूल्यों के प्रति
आस्थावान बनना होगा उनके नैतिक मूल्यों को जागृत करना होगा |
बिना भार के अधिगम (Learning without Burden)
NCF-2005 का प्रमुख सूत्र निम्नलिखित है |
- लर्निंग
विदाउट बर्डन: इसका मतलब है बच्चों को बिना भार के पढ़ाया जाए उस पर किसी
प्रकार का मानसिक या शारीरिक भार नहीं होना चाहिए |
- बहुत
से माता पिता अपने बच्चों पर प्रेशर बनाए रखते हैं और उस बात को वह प्रेशर
मानते भी नहीं है जैसे कि बच्चो को हर बात पे टोकना , की पढ़लो , अगर टीवी देख
रहे होते है तो कहते की होमवर्क कर लिया , या फिर कहते है की जो काम बोलै था
वो कर लिया | जिससे बच्चो और माता पिता के बीच में खटास पैदा हो जाती है |
- बच्चे
के एग्जाम पास में आ रहे हैं बच्चों को रात के 2:00 बजे तक जगा कर रखा जाता
है और उन्हें रटवाया जाता है कि रटो और कल के एग्जाम में लिख कर आओ और तुमको
इतने नंबर तो लाने ही लाने हैं | और कुछ पैरेंटस ऐसे भी होते है जो सही नंबर
न लाने पर उनकी पिटाई भी कर देते है |
- नेशनल
करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 का निर्माण एनसीईआरटी द्वारा किया गया था और इसको
पूरा करने का कार्य निदेशक “प्रोफेसर कृष्ण कुमार” के
नेतृत्व में किया गया था और इसका प्रमुख लक्ष्य आत्म ज्ञान है मतलब
विद्यार्थियों को अलग-अलग अनुभवों का अवसर देकर उन्हें स्वयं ज्ञान की
प्राप्ति करनी होती है | चलिए इसको समझते हैं – मान लीजिए आप किसी कक्षा में
बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उन बच्चों को आप तरह तरह के उदाहरण देते हैं
जिससे कि वह अपने पूर्व अनुभवों को कुछ रोचक तथ्यों के साथ जोड़कर उन्हें
आत्मसात कर लेगा यानी कि अपने मन में बैठा लेगा |
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के प्रमुख
सुझाव
- बालक
सक्रिय है: बालक को आपको हमेशा सक्रिय मानना है मतलब
वह सीखने के लिए तैयार बैठा है आपको बस उसे सिखाना है उसे किताबों के माध्यम
से और अपने ज्ञान के माध्यम से बाहर की दुनिया से जोड़ते हुए उसको सिखाना है
|
- स्वयं
से जाने: बालक स्वयं से जाने और सीखें और नई नई
चीजों को आजमाएं जब बालक स्वयं से सीखेगा और जानेगा तब उसकी बुद्धि का विकास
एक नए स्तर से ही होगा इसलिए जब भी बच्चा स्वयं से जानने सीखने की कोशिश करें
तब आपको उसे हतोत्साहित नहीं करना है बल्कि उसका हौसला बढ़ाना है |
- जोड़-तोड़
करें: बालक जोड़-तोड़ करें इसका मतलब यह है कि
मान लीजिए बालक किसी खिलौने से खेल रहा है और उसे वह तोड़ देता है तब उसको
जोड़ने का भी प्रयास करता है आपको उसे डांटना नहीं है कि उसने खिलौना क्यों
तोड़ दिया बल्कि उसकी मदद करनी है उसकी खिलौना जोड़ने में तब जब भी उसका
खिलौना टूटेगा तो वह आपके पास आएगा और खिलौना जोड़ने का प्रयास करेगा जिससे
उसकी मानसिक और शारीरिक गतिविधि में वृद्धि होगी |
- बालक
गलतियां करें: बालक गलतियां करे से मतलब है बालक त्रुटि
करें यानी कि कोई काम बिगाड़े जब भी बालक कोई गलती करे तब आपको उसे डांटना
नहीं है बल्कि आप उसे समझाना है कि उसने क्या गलत किया है जिससे कि भविष्य
में जान पाए कि गलत करने से क्या होगा उसका परिणाम क्या होगा और बच्चे की गलतियों
को महत्वपूर्ण माना गया है NCF-2005 में अगर बच्चा गलतियां करता है और उसमें
वह स्वयं सुधार करता है तो वह सही दिशा में जा रहा है |
- सीखना,
सक्रिय व सामाजिक गतिविधि है: सक्रिय होना बहुत जरूरी
है टीचर का भी सक्रिय होना जरूरी है और बच्चों का भी सक्रिय होना बहुत जरूरी
है अगर इनमें से कोई भी एक निष्क्रिय रहा तो ज्ञान वृद्धि पड़ सकती है और
सीखना एक सामाजिक गतिविधि भी होती है जैसा कि समाज हमारे लिए बहुत ही
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हमने समाज से ही भाषा सीखी है और समाज में हमको
बहुत कुछ सिखाया है समाज के अंदर हमारा आसपास का वातावरण आता है घर आता है
स्कूल आता है आदि बच्चा समाज के माध्यम से सामाजिक गतिविधियां सीखता है |
- सीखने
में यांत्रिकता: सीखने में यांत्रिकता नहीं होनी चाहिए
चलिए इस को समझते हैं यदि हम किसी बच्चे को बार-बार वही टॉपिक बढ़ाएं तो वह
बोर हो जाएगा और उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा इसलिए हमको बार-बार नहीं
दोहराना चाहिए और पढ़ाते समय पढ़ाई को रोचक बनाना चाहिए |
- डर
और अनुशासन: अधिगम को या सीखने को डर और अनुशासन की
जगह आनंद एवं संतोष से जोड़ा जाए चलिए इस को समझते हैं बच्चों को आप को डराकर
नहीं पढ़ाना चाहिए और ना ही उन्हें अनुशासन में रहने को विवश नहीं करना चाहिए
बहुत से अध्यापक बच्चों को सजा देते हैं उनसे स्कूल का काम करवाते हैं और
अपना भय का वातावरण बनाए रखते हैं तो ऐसा नहीं करना है |
- भाषा,
संस्कृति: बालक को स्कूल, घर, समुदाय आदि सब जगह
महत्वपूर्ण माना जाए और उसकी भाषा, संस्कृति को भी सम्मान किया जाए चली उसको
समझते हैं चलिए इस को समझते हैं बालक जब भी स्कूल में प्रवेश करता है तब वह
अपनी मातृभाषा और संस्कृति के साथ प्रवेश करता है तब अध्यापक को उसकी भाषा और
संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और अपना ज्ञान उसको देना चाहिए बालक का स्कूल
घर समुदाय आदि सभी महत्वपूर्ण है |
- प्राथमिक
स्तर: प्राथमिक स्तर पर पाठ्यक्रम की सभी
गतिविधियों में भाषा में गणित का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है सभी की
अपनी-अपनी विशेषताएं हैं इसलिए सभी का स्थान महत्वपूर्ण है |
- त्रिभाषा
सूत्र: बहुभाषी कक्षा शिक्षण तीन भाषाओं की वकालत
करता है त्रिभाषा सूत्र चलिए इस को समझते हैं भारत में अनेक प्रकार की भाषाएं
बोली जाती हैं और सभी राज्यों में जगह जगह पर आपको स्कूल मिल जाएंगे और सभी
स्कूलों में कई प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं| बहुभाषिक कक्षा को हमेशा
महत्वपूर्ण माना है इसमें अनेक प्रकार की भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है और
बच्चों को आपस में बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है | कक्षा शिक्षण में
त्रिभाषा सूत्र की वकालत की गई है थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला | त्रिभाषा सूत्र
के अनुसार आपको कक्षा में 3 प्रकार की भाषाएं तो पढानी ही चाहिए –
- बहुभाषी
कक्षा: मान लीजिए दिल्ली हरियाणा राजस्थान के
आसपास एक स्कूल है जिसमें आपको तीन प्रकार की भाषाएं पढ़ा नहीं है तो वह
भाषाएं होंगी हिंदी दूसरी भाषा होगी अंग्रेजी और तीसरी होगी कोई भी आधुनिक
भाषा हिंदी उसमें रीजनल भाषा मानी जाएगी |
- 3
भाषाएं: मान लीजिए आप साउथ की तरफ जाते हैं पढ़ाने
के लिए या फिर आप नॉर्थईस्ट की तरफ जाते हैं पढ़ाने के लिए तब आपकी 3 भाषाएं
होंगी जो आप कक्षा में पढ़ आएंगे पहले उनकी मातृभाषा जहां पर बोली जाती है
दूसरी हिंदी और तीसरी अंग्रेजी |
भाषा कौशल
NCF-2005 में भाषा के चार कौशलों की बात की गई है जो कि निम्नलिखित हैं
| आप इनको एलएसआरडब्ल्यू (LSRW) के नाम से भी जानते हैं |
- सुनना
(Listning)
- बोलना
(Speaking)
- पढ़ना
(Reading)
- लिखना
(Writing)
- सतत
एवं व्यापक मूल्यांकन: बच्चों का आकलन में मूल्यांकन
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन होना चाहिए ऐसा मूल्यांकन होना चाहिए जो निरंतर
चलता रहे और व्यापक हो जिसमें बच्चों को शैक्षिक सह शैक्षिक दोनों पक्षों को
शामिल किया जाए |
- आकलन: उनका
रचनात्मक आकलन होना चाहिए उनका निदानात्मक आकलन भी होना चाहिए निदानात्मक
आकलन के अंतर्गत जो भी समस्या होती है उनकी पहचान होती है इसके अंदर और जब
समस्या की पहचान हो जाती है तब उसका उपचार किया जाता है क्लास 10th की
परीक्षा ऐच्छिक होनी चाहिए |
- सूचना
और ज्ञान: किसी भी प्रकार की सूचना को ज्ञान मानने से बचा
जाना चाहिए यदि आपको किसी भी प्रकार की सूचना मिलती है तो उसे ज्ञान समझकर
अर्जन ना करें |
- शिक्षण
सूत्र: विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा में
शिक्षण सूत्र जैसे कि ज्ञात से अज्ञात की ओर मूर्त से अमूर्त की ओर आदि
शिक्षण सूत्रों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए |
- मूर्त
से अमूर्त: विद्यार्थियों को पहले उन चीजों के बारे में
पढ़ाओ जो वह पहले से जानते हैं जैसे कि आप उन्हें गाय का उदाहरण दे सकते हैं
फिर जब वह हामी भर देंगे कि हम गाय को जानते हैं और हम ने गाय को देखा है तो
हम उससे पूछेंगे कि गाय के बारे में हमें और भी बातें बताएं तब वह हमें सब
कुछ बता देंगे फिर जब वह अपनी बात खत्म कर देंगे तब हम उनको और भी रोचक
तथ्यों के साथ गाय के बारे में बताएंगे | हम उन्हें गाय का निबंध भी बताएंगे
और भी बहुत सी बातें बताएंगे जो उनको नहीं पता थी |
- मूर्त
अमूर्त : हमें विद्यार्थियों को मूर्त से अमूर्त की
ओर का ज्ञान देना चाहिए मूर्त से मतलब है जिन्हें बच्चे छू
सकते हैं हम छू सकते हैं और अमूर्त से मतलब है जिसे हम सोच
सकते हैं जैसे की हवा या फिर कोई भी ऐसी सोचने वाली चीज़ जो हमारे सामने न ही
लेकिन हम उसके बारे में सोच सकते है |
- सजा
व पुरस्कार: सजा व पुरस्कार की भावना को सीमित किया जाए
बच्चों को किसी भी प्रकार की सजा नहीं देनी चाहिए और ना ही उन्हें बार-बार
पुरस्कार देना चाहिए इससे पुरस्कार की अहमियत कम हो जाती है |
- गतिविधियां: सह
शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए चलिए इस को
समझते हैं शैक्षिक गतिविधियां वह होती हैं जिनके अंतर्गत बच्चों को उनके विषय
से जुड़ी शिक्षा दी जाती है जैसे की गणित की विद्या दी गई है या विज्ञान की
विद्या दी गई है सह शैक्षिक के अंदर आता है कोई खेलकूद योगा आदि तो आप
अभिभावकों को भी योगा में जोड़ सकते हैं जिससे बच्चों पर भी प्रभाव पड़ेगा और
वह भी योगा करेंगे |
- पाठ्यक्रम: विशाल
पाठ्यक्रम व मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता के प्रतीक है यदि बच्चा
मोटी किताबें देखेगा तो उसका मन नहीं करेगा पढ़ने में और इससे उसके से वहां
पर भी प्रभाव पड़ेगा इसलिए विशाल पाठ्यक्रम व मोटी किताबें नहीं होनी चाहिए |
- नैतिक
मूल्य: बच्चों को उपदेश देकर नहीं बल्कि वातावरण देकर स्थापित किया
जाए यदि आप बच्चों को मूल्य की कीमत समझाना चाहते हैं उनमें नैतिक मूल्य
प्रकट करना चाहते हैं तब आप रोचक तथ्यों व कहानियों द्वारा नैतिक मूल्य
प्रदान कर सकते है |
- बाहरी
जीवन: बच्चों को स्कूल में बाहरी जीवन से जोड़कर
पढ़ाया जाए और तनाव मुक्त वातावरण प्रदान किया जाए |
- पुस्तक: बच्चों
को स्कूल में स्वयं पुस्तक चुनने का अवसर दें जिससे वह अपनी रुचि अनुसार
किताबें पढ़ सकें |
- कार्यक्रम
: सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मनोरंजन के स्थान पर
सौंदर्य बोध को बढ़ावा दें विद्यालयों में ऐसे कार्यक्रम भी कराने चाहिए
जिससे बच्चे हर्षोल्लास से भर जाए आप सांस्कृतिक कार्यक्रम कर आइए लेकिन
बच्चों के विचार भी उसमें होने चाहिए |
- शिक्षक
ट्रेनिंग: शिक्षक को अकादमिक संसाधन में नवाचार आदि समय पर
पहुंचाया जाए समय-समय पर शिक्षक को ट्रेनिंग दी जाए और नए नए शिक्षा साधन
प्रदान किए जाएं |
- संसाधन: समुदाय
को मानवीय संसाधन के रूप में प्रयुक्त होने का अवसर दें |
- पाठ्यक्रम: मानसिक
स्तर एवं योग्यता के अनुसार ही पाठ्यक्रम का निर्धारण करना होगा |
- जिम्मेदारी: शांति
शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए और महिलाओं के प्रति आदर एवं जिम्मेदारी का
दृष्टिकोण विकसित करने की कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए |
- चहुंमुखी
विकास: बालकों के चहुंमुखी विकास पर आधारित पाठ्यचर्या
होनी चाहिए |
- समावेशी
वातावरण: सभी विद्यार्थियों के लिए समावेशी वातावरण होना
चाहिए जिसमें सब मिलजुल कर पढ़ें |
NCF-2005 की इन पांच विधियों पर जोर दिया जाता है |
- करके
सीखना (Learning by Doing)
- निरीक्षण
विधि (Observation Method)
- परीक्षण
विधि (Test Method)
- सामूहिक
विधि (Collective Law)
- मिश्रित
विधि (Mixed Method)
NCF-2005 में शिक्षक के प्रति दृष्टिकोण शिक्षक ज्ञान का स्त्रोत्र नहीं
बल्कि एक esi सुविधा देता है जो सूचना को अर्थबोध में बदलने की प्रक्रिया में
विविध उपायों द्वारा बच्चों हेतु सहायक होता है |
NCF के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न
निम्नलिखित है | जो की आगामी परीक्षा में आ सकते है |
- NCF 2005 …. बल देता है।
(अ) करके सीखने पर
(ब) रटने पर
(स) समस्या हल करने पर
(द) उपरोक्त सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में
बातचीत की गई है-
(अ) ज्ञान स्थाी है व दिया जाता है से ज्ञान का विकास होता हो और इसकी
सरंचना की जाती है
(ब) शैक्षिक केन्द्र से विषय केन्द्र पर
(स) विद्यार्थी केन्द्रित से अध्यापक केन्द्रित की ओर
(द) इनमें से कोई नहीं
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 के अंतर्गत
निःशक्त बालकों की रक्षा के लिए प्रावधान किया जा सकता है-
(अ) समावेशित शिक्षा द्वारा
(ब) मुख्य धारा में डालकर
(स) समाकलन द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 निम्न में
से किस परीक्षा संबंधी सुधारों को सुझाया गया है ?
(अ) कक्षा-10 की परीक्षा ऐच्छिक
(ब) विद्यालय शिक्षा की विभिन्न अवस्थाओं पर राज्य स्तर की परीक्षा का संचालन
(स) प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की ऐच्छिक
(द) इनमें से सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में
’बहुभाषा’ को एक संसाधन के रूप में समर्थन दिया गया है क्योंकि-
(अ) यह एक तरीका है जिसमें प्रत्येक बालक सुरक्षित महसूस करें
(ब) भाषागत पृष्ठभूमि के कारण कोई भी बालक पीछे न छूट जाये
(स) यह बालकों का अपने पर विश्वास के लिए प्रोत्साहन देगा
(द) उपर्युक्त सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 में गणित
शिक्षा के किस किस बिन्दु पर मुख्यतया प्रकाश डाला गया है?
(अ) गणित की सहायता से तर्क-शक्ति का विकास करना।
(ब) · गणित की सहायता से ·गणित में रूचि का विकास करना।
(स) गणित की सहायता से मूल्यांकन का विकास करना।
(द) · गणित की सहायता से गणित का अन्य विषयों के साथ अधिक सहसम्बन्ध स्थापित करना।
- बालकों के स्कूली जीवन को बाहर के जीवन से जोङा
जाना चाहिए। इस कथन का सम्बन्ध है –
(अ) राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005
(ब) प्रोग्राम ऑफ एक्शन, 1992
(स) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986
(द) राष्ट्रीय ज्ञान आयोग, 2007
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 के
अनुसार पाठ्यचर्या निर्माण के पांच निर्देशक सिद्धांतों में से एक है-
(अ) ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ना
(ब) द्वितीय भाषा सीखना
(स) दृष्टिकोण को बदलना
(द) उच्च शिक्षा के लिए प्रबल आधार का निर्माण करना
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 के
अंतर्गत कितने केन्द्र समूह गठित किए गए थे ?
(अ) 24
(ब) 22
(स) 21
(द) 23
- निम्न में से कौन नेशनल स्टीयरिंग कमेटी NCF
2005 के अध्यक्ष थे ?
(अ) श्री अर्जुन सिंह
(ब) प्रोफेसर कृष्ण कुमार
(स) प्रोफेसर यशपाल
(द) प्रोफेसर वेद प्रकाश
- NCF 2005 के अनुसार बालक के सर्वांगीण विकास में
शामिल है ?
(अ) बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक विकास एवं स्वस्थ जीवन की तैयारी
(ब) · बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावानात्मक विकास
(स) बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावानात्मक विकास और विद्यालय के लिए
तैयारी
(द) · बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावानात्मक विकास एवं बौद्धिक विकास
- NCF 2005 में ’अनुशासन एवं सहभागी प्रबंधन’
शीर्षक के अंतर्गत कक्षा में शांति बनाए रखने से संबधित जो नियम होते है,
इनके पालन से अध्यापक कक्षा से –
(अ) समानता और बराबर अवसर देने के मूल्यों को कमजोर बनाते है और उन्हें
क्षति पहुंचाते है
(ब) ये नियम उन प्रक्रियाओं को भी हतोत्साहित करते है जो बच्चों की सीखने की
प्रक्रिया में अंतर्निहित होती है
(स) ये नियम सहपाठियों में समुदाय की भावना को अविकसित होने से भी रोकते है
(द) इन नियमों से शिक्षकों के लिए कक्षा ’व्यवस्था की नजर से आसान’ हो जाती है।
- NCF 2005 के अनुसार ’जो कमा जिस स्तर पर संभव
है, उसे उसी स्तर पर किया जाना चाहिए न कि उससे उच्च स्तर पर’ इसे कहा गया है
–
(अ) पूरकता का सिद्धांत
(ब) संज्ञानात्मक वैधता का सिद्धांत
(स) नैतिक वैधता का सिद्धांत
(द) मार्ग दर्शक का सिद्धांत
- NCF 2005 में ’समक्ष के रूप’ में दी गई · गणितीय
की विशिष्ट अवधारणाओं में किसी शामिल नहीं किया गया ?
(अ) गणितीय अवधारणाओं में जो सिद्धान्त स्थापित किया जाना है उसका
कदम-दर-कदम प्रदर्शन वैधता निर्धारित की जाती है।
(ब) · गणित की पुष्टिकरण की क्रिया कभी आनुभाविक नहीं होती है।
(स) गणित की पुष्टिकरण की क्रिया अवलोकन या प्रयोग पर आधारित होती है।
(द) · गणित की पुष्टिकरण की क्रिया उस संरचना में मौजूद उपयुक्त परिभाषाओं एवं स्वयं
सिद्ध सिद्धान्तों के आधार पर एक प्रदर्शन होता है।
- NCF 2005 के ’विकास को सीखना’ शीर्षक के अंतर्गत
संज्ञानात्मक विकास का अर्थ है –
(अ) कर्म व भाषा के माध्यम से स्वयं और दुनिया को समझना
(ब) स्वस्थ शारीरिक विकास सभी प्रकार के विकास की पहली शर्त है
(स) जानकारी इकट्ठा करके उनका रटना
(द) अर्थ निकालना, मूर्त सोच की क्षमता विकसित करना
- गणित की प्रकृति एवं संरचना में निम्नलिखित
विशेषता नहीं है ?
(अ) गणित की भाषा सांकेतिक है
(ब) · गणित के निष्कर्ष निश्चित एवं तर्कसंगत होते है
(स) गणित की सभी शाखाओं का मूलभूत आधार समुच्चय सिद्धांत भाषा है
(द) · गणित की विषयवस्तु में सामंजस्यता है
- NCF 2005 में कला शिक्षा को विद्यालय में जोङने
का उद्देश्य है
(अ) सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा करना
(ब) छात्रों के व्यक्तित्व और मानसिक स्वास्थ्य को विकसित करना
(स) केवल क सही है
(द) दोनों क और ख सही है
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा, 2005 में शांति
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कुछ क्रियाओं की अनुशंसा की गई है। पाठ्यक्रम
रूपरेखा में निम्न में से किसे सूचीबद्ध किया गया है ?
(अ) महिलाओं के प्रति आदर एवं जिम्मेदारी का दृष्टिकोण विकसित करने के लिए
कार्यक्रम आयोजित कए जाए
(ब) नैतिक शिक्षा को पढ़ाया जाये
(स) शांति शिक्षा को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाये
(द) शांति शिक्षा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाये
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 के अंतर्गत
’परीक्षा सुधारों’ में निम्न में से किस सुधार को सुझाया गया है ?
(अ) खुली पुस्तक परीक्षा
(ब) सतत/निरंतर एवं व्यापक मूल्यांकन
(स) सामूहिक कार्य मूल्यांकन
(द) इनमें से सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में
’गुणवत्ता आयाम’ शीर्षक के अंतर्गत अधिक महत्व दिया गया है –
(अ) भौतिक संसाधनों को
(ब) शिक्षित एवं अभिप्रेरित अध्यापकों को
(स) बालकों के लिए ज्ञान के संदर्भ में संरचित अनुभवों को
(द) · बालकों के लिए संरचित अनुभव एवं पाठ्यक्रम सुधार को
- NCF 2005 में प्राथमिक विद्यालयों के बालकों के
लिए निम्न में किसे बेहतर माना गया ?
(अ) वीडियो अनुरूपण
(ब) प्रदर्शन
(स) स्वयं के द्वारा किया गया अनुभव
(द) इनमें से सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में भारत की
धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता को मानना, स्त्रियों के प्रति सम्मान एवं
जिम्मेदारी का दृष्टिकोण को बढ़ाने के प्रोग्राम का आयोजन एवं वृत्त चित्र तथा
फिल्मों को एकत्र करना एवं दिखाना जिनके माध्यम से न्याय एवं शांति में
वृद्धि हो, को सुझाया गया है ताकि –
(अ) शांति की शिक्षा दी जा सके
(ब) मूल्यों की शिक्षा दी जा सके
(स) नागरिकता की शिक्षा दी जा सके
(द) इनमें से कोई नहीं
- NCF 2005 के अनुसार सामान्यतया विद्यार्थियों की
गणित सीखने में रूचि नहीं है क्योंकि –
(अ) अध्यापक दैनिक जीवन में इस विषय की उपयोगिता नहीं बताते है।
(ब) अध्यापक इस विषय के आधारभूत सम्प्रत्यय पढ़ाने में पर्याप्त समय नहीं देते
है।
(स) गणितीय संकेत गणितीय भाषा पर ज्यादा हावी है।
(द) गणितीय अधिगम पूर्णतया बौद्धिक क्रिया है।
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपेरखा, 2005 में ’सामाजिक
अध्ययन’ में निम्न में से किन मुद्दों को शामिल करने की अनुशंसा की गई है ?
(अ) लैंगिक मुद्दों की
(ब) केवल किशारों के मुद्दों की
(स) लैंगिक व किशोरों – दोनों मुद्दों की
(द) सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लैंगिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों
की
- राष्ट्रीय नीति-1986 में यह कहा गया है कि –
(अ) विज्ञान शिक्षा को शिक्षकों और विद्यार्थियों में सहनशक्ति विकसित करनी
चाहिए।
(ब) विद्यार्थियों को अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।
(स) विज्ञान शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि वह विद्यार्थियों को समस्या समाधान
करने और निर्णय लेने योग्य बनाए।
(द) · विज्ञान के विषयों में प्रायोगिक कार्य पर अधिक बल देना चाहिए।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की रूपरेखा के अनुसार
शिक्षक है:
(अ) मालिक
(ब) सुविधाप्रदाता।
(स) नेता
(द) इनमें से कोई नहीं
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 के अनुसार स्कूलीय
स्तर पर त्रिभाषा फाॅर्मूला को स्वीकार किया गया है, इस संदर्भ मेें से कौनसा
कथन सही नहीं है ?
(अ) पूर्व प्राथमिक स्तर पर घरेलू की भाषा काम में ली जानी चाहिए
(ब) प्राथमिक स्तर पर राष्ट्रभाषा काम में ली जानी चाहिए।
(स) स्कूली उच्च स्तर पर मातृ भाषा काम में ली जानी चाहिए।
(द) बाद में स्तरों पर शास्त्रीय या विदेशी भाषा काम में ली जा सकती है।
- NCF 2005 में शिक्षा के वृत्तीकरण
(Vocationalization) का उद्देश्य निम्न में से कौनसा है ?
(अ) छात्रों को ज्ञान के साथ व्यवसाय के लिए तैयार करना
(ब) उदार शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा में बदलना
(स) सामान्य शिक्षा के बजाय व्यावसायिक शिक्षा पर ज्यादा जोर देना
(द) उदार शिक्षा को व्यवसायोन्मुखी बनाना
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 का लक्ष्य है
–
(अ) अभिभावकों की आकांक्षाओं की पूर्ति
(ब) शिक्षण संस्थानों में समन्वय शामिल करना
(स) सतरानुकूल शिक्षण विधियों का प्रयोग
(द) ये सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में
’गुणवत्ता आयाम’ शीर्षक के अन्तर्गत अधिक महत्व दिया गया है ?
(अ) भौतिक संसाधनों को
(ब) शिक्षित एवं अभिप्रेरित अध्यापकों को
(स) बालको के लिए ज्ञान के संदर्भ मं संरचित अनुभवों को
(द) बालकों के लिए संरचित अनुभव एवं पाठ्यक्रम सुधार को
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2005 में निम्न
में से किस परीक्षा सम्बन्धी सुधारों को सुझाया जाता है ?
(अ) कक्षा-10 की परीक्षा ऐच्छिक
(ब) विद्यालयी शिक्षा की विभिन्न अवस्थाओं पर राज्य स्तर की परीक्षा संचालन
(स) प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं को ऐच्छिक
(द) इनमें से सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपेरखा 2005 की विशेषता है
?
(अ) पूर्व प्राथमिक स्तर पर बालक को मातृभाषा में निपुण होना चाहिए। इसके
पश्चात् आवश्यकतानुसार अन्य भाषाएँ सीखी जा सकती है।
(ब) पाठ्यक्रम निर्माण में अभिभावकों के हितों एवं समझ को महत्व दिया गया है।
(स) पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रूचि जाग्रत करने को ध्यान में
रखते हुए बनाया गया है ताकि रूचिप्रद हो सकें।
(द) उपर्युक्त सभी
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा, 2005 में शांति
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कुछ क्रियाओं की अनुशंसा की गई है। पाठ्यक्रम
रूपरेखा में निम्न में से किसे सूचीबद्ध किया गया है ?
(अ) महिलाओं के प्रति आदर एवं जिम्मेदारी एवं दृष्टिकोण विकसित करने के लिए
कार्यक्रम आयोजित किये जाए
(ब) नैतिक शिक्षा को पढ़ाया जाये।
(स) शान्ति शिक्षा को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाये।
(द) शान्ति शिक्षा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाये।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 में
बातचीत की गई है –
(अ) ज्ञान स्थायी है व दिया जाता है से ज्ञान का विकास होता हो और उसकी
संरचना की जाती है।
(ब) शैक्षिक केन्द्र से विषय केन्द्र होने पर
(स) विद्यार्थी केन्द्रित से अध्यापक केन्द्रित की ओर
(द) इनमें से कोई नहीं
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के अनुसार प्राथमिक
स्तर की विद्यालय शिक्षा का माध्यम होना चाहिए
(अ) संस्कृत
(ब) राष्ट्रीय भाषा
(स) मातृभाषा
(द) अन्तराष्ट्रीय भाषा
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 का मुख्य
सूत्र है –
(अ) Learning without burden
(ब) Learning with burden
(स) Burden with learning
(द) इनमें से कोई नहीं
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