Concepts of child-centered and progressive education (बाल-केंद्रित और प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा)
बाल-केंद्रित शिक्षा (Child-Centered Education)
1. अवधारणा (Concept)
- पारंपरिक
शिक्षा में शिक्षक और विषय केंद्र में रहते थे, परंतु बाल-केंद्रित शिक्षा में
बालक स्वयं शिक्षा का केंद्र होता है।
- इसे
पहली बार पेस्टालॉज़ी (Pestalozzi), फ्रॉएबेल (Froebel), मोंटेसरी
(Montessori) और बाद में गांधी व टेगोर ने भी बल दिया।
- सिद्धांत:
“Education should be according to the child, not the child according to
education.”
2. मुख्य सिद्धांत
- व्यक्तिगत
भिन्नताओं का सम्मान
– हर बच्चा अलग है, इसलिए शिक्षा उसकी गति व आवश्यकता के अनुसार होनी चाहिए।
- गतिविधि-आधारित
अधिगम – खेल, प्रयोग,
प्रोजेक्ट आदि के माध्यम से सीखना।
- स्वाभाविक
रुचि पर बल – बच्चे
की स्वाभाविक जिज्ञासा और रुचि ही सीखने का आधार है।
- शिक्षक
की भूमिका – शिक्षक
ज्ञानदाता नहीं, बल्कि मार्गदर्शक और सहायक है।
- सर्वांगीण
विकास – बौद्धिक,
शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक और सृजनात्मक सभी पक्षों का विकास।
- आत्म-अनुशासन – बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि भीतर
से अनुशासन का विकास।
3. बाल-केंद्रित शिक्षा की विधियाँ
- खेल
विधि (Play Way Method)
– विशेषकर प्री-प्राइमरी और प्राथमिक स्तर पर।
- मोंटेसरी
पद्धति – आत्म-अन्वेषण
और संवेदनात्मक सामग्री से अधिगम।
- डाल्टन
योजना – व्यक्तिगत
अध्ययन और आत्मनिर्भरता।
- परियोजना
पद्धति (Project Method)
– विलियम किलपैट्रिक द्वारा, "Learning by Doing"।
- अनुभवात्मक
शिक्षा (Experiential Learning)।
4.
उदाहरण
- गणित:
बच्चों को बीज, कंचे, माचिस की तीलियों से जोड़-घटाव कराना।
- विज्ञान:
पौधों को उगाकर उनसे जीवन-चक्र समझाना।
- भाषा:
कहानी सुनाना, रोल-प्ले और चित्र-पुस्तकें।
5. लाभ
- शिक्षा
रोचक और जीवनोपयोगी बनती है।
- बच्चे
में आत्मविश्वास और सृजनात्मकता का विकास।
- सीखना
स्थायी और गहन होता है।
6. सीमाएँ
- शिक्षक
को अत्यधिक तैयारी करनी होती है।
- बड़े
कक्षा-आकार (Large Class Size) में कठिन।
- समय
व संसाधन अधिक लगते हैं।
प्रगतिशील शिक्षा (Progressive Education)
1. अवधारणा (Concept)
- प्रगतिशील
शिक्षा का आधार अमेरिकी दार्शनिक जॉन ड्यूई (John Dewey) का सिद्धांत है।
- शिक्षा
= "जीवन का पुनर्निर्माण और निरंतर सामाजिक अनुभव।"
- शिक्षा
केवल ज्ञान का संचय नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक समाज में उपयोगी जीवन जीने की
तैयारी है।
2. मुख्य सिद्धांत
- Learning
by Doing – अनुभव
और कार्य द्वारा अधिगम।
- शिक्षा
और जीवन का संबंध
– स्कूल जीवन से अलग नहीं, बल्कि जीवन का ही अंग है।
- सहयोग
और सहभागिता –
समूह कार्य, सहकारी अधिगम, चर्चा और वाद-विवाद।
- लोकतांत्रिक
मूल्य – समानता,
स्वतंत्रता, सहिष्णुता और भाईचारा।
- सामाजिक
उत्तरदायित्व
– शिक्षा से समाज के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारी का बोध।
3. प्रगतिशील शिक्षा की विधियाँ
- परियोजना
पद्धति (Project Method)
- समस्या
समाधान पद्धति (Problem-Solving Method)
- चर्चा
और वाद-विवाद (Discussion & Debate)
- प्रयोगशाला
और फील्ड-वर्क
- सहकारी
अधिगम (Cooperative Learning)
4.
उदाहरण
- विज्ञान:
बच्चों को प्रयोगशाला में प्रयोग कराना।
- सामाजिक
विज्ञान: लोकतंत्र पर वाद-विवाद, ग्राम-भ्रमण।
- पर्यावरण
अध्ययन: पौधारोपण या नदी-सफाई अभियान।
5. लाभ
- शिक्षा
व्यवहारिक और जीवनोपयोगी बनती है।
- बच्चों
में सहयोग, सहानुभूति और समाजोपयोगिता का विकास।
- लोकतांत्रिक
नागरिकता की तैयारी।
6. सीमाएँ
- समय
व संसाधन अधिक चाहिए।
- शिक्षक
की उच्च दक्षता आवश्यक।
- पारंपरिक
परीक्षाओं से मेल बैठाना कठिन।
मुख्य अंतर : बाल-केंद्रित बनाम प्रगतिशील शिक्षा
|
बिंदु |
बाल-केंद्रित शिक्षा |
प्रगतिशील शिक्षा |
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केंद्रबिंदु |
व्यक्तिगत बालक |
समाज और लोकतांत्रिक जीवन |
|
मुख्य जोर |
रुचि, आवश्यकता और व्यक्तिगत विकास |
अनुभव, समाजोपयोगीता और सहयोग |
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शिक्षक की भूमिका |
मार्गदर्शक और सहायक |
सह-अध्येता और सहयोगी |
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उद्देश्य |
सर्वांगीण विकास |
समाजोपयोगी नागरिकता व लोकतांत्रिक
मूल्यों का विकास |
|
पद्धतियाँ |
खेल, परियोजना, अनुभवात्मक |
परियोजना, समस्या-समाधान, समूह कार्य |