कोलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत (Lawrence Kohlberg’s Theory of Moral Development)

 कोलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत (Lawrence Kohlberg’s Theory of Moral Development)



🔹 1. परिचय

·       प्रवर्तक: लॉरेन्स कोलबर्ग (Lawrence Kohlberg, 1927–1987)

·       प्रेरणा: जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत।

·       आधार: बच्चों से पूछे गए नैतिक दुविधा (Moral Dilemmas) — सबसे प्रसिद्ध है Heinz Dilemma

·       कोलबर्ग का मानना: नैतिक विकास (Moral Development) आयु के साथ चरणबद्ध रूप से होता है।

·       यह केवल नियम पालन नहीं है, बल्कि व्यक्ति का तार्किक चिंतन और न्याय की समझ पर आधारित है।

🔹 2. Heinz Dilemma (हाइन्ज की दुविधा)

·        Heinz की पत्नी कैंसर से मर रही थी।

·        दवा उपलब्ध थी लेकिन बहुत महंगी थी।

·       पैसे होने पर Heinz ने दवा चोरी करने का विचार किया।

प्रश्न:

क्या Heinz को दवा चोरी करनी चाहिए?

अगर हाँ तो क्यों? अगर नहीं तो क्यों?

कोलबर्ग ने उत्तरों का मूल्यांकन केवलहाँ/नहींसे नहीं किया, बल्किक्योंपर ध्यान दिया।

यहीं से उन्हें नैतिक विकास के 6 चरण मिले।

 

Ø  कोलबर्ग ने बताया कि नैतिक विकास (Moral Development) चरणों में होता है। बच्चा नैतिक निर्णय (Moral Judgment) कैसे लेता हैयह उसकी सोचने की क्षमता और अनुभव पर निर्भर करता है। उन्होंने 3 स्तर (Levels) और 6 चरण (Stages) बताए।

🔹 स्तर 1 : पूर्व-पारंपरिक स्तर (Pre-Conventional Level)

👉 यह स्तर लगभग 4–10 वर्ष के बच्चों में पाया जाता है।

👉 यहाँ नैतिकता का आधार सज़ा और इनाम (Punishment & Reward) होता है।

चरण 1 : आज्ञापालन और दंड अभिविन्यास (Obedience and Punishment Orientation)

·       बच्चा केवल सज़ा के डर से गलत काम नहीं करता।

·       सही-गलत का आधार है – "जो सज़ा देगा, वह गलत है"

·       उदाहरण: बच्चा चोरी नहीं करता क्योंकि उसे डांट या मार पड़ सकती है।

चरण 2 : साधनात्मक उद्देश्य और लाभ अभिविन्यास (Instrumental Orientation)

·       बच्चा काम केवल निजी लाभ या इनाम के लिए करता है।

·       सही-गलत का आधार है – "मेरे लिए क्या फ़ायदा है?"

·       उदाहरण: बच्चा दोस्त की मदद करता है ताकि बाद में दोस्त उसकी मदद करे।

🔹 स्तर 2 : पारंपरिक स्तर (Conventional Level)

👉 यह स्तर लगभग 10–15 वर्ष की आयु में आता है

👉 बच्चा अब समाज, परिवार और दूसरों की अपेक्षाओं के अनुसार काम करता है।

चरण 3 : अच्छे लड़के/लड़की का अभिविन्यास (Good Boy–Good Girl Orientation)

·       बच्चा अच्छा काम इसलिए करता है ताकि लोग उसे अच्छा और आज्ञाकारी मानें।

·       सही-गलत का आधार है – "लोग क्या सोचेंगे?"

·       उदाहरण: बच्चा झूठ नहीं बोलता ताकि शिक्षक उसे अच्छा बच्चा कहें।

चरण 4 : विधि और व्यवस्था अभिविन्यास (Law and Order Orientation)

·       बच्चा समाज के नियम और क़ानून का पालन करता है।

·       सही-गलत का आधार है – "क़ानून और नियम का पालन करना"

·       उदाहरण: ट्रैफ़िक सिग्नल पर गाड़ी रोकना क्योंकि यह नियम है।

🔹 स्तर 3 : परापारंपरिक स्तर (Post-Conventional Level)

👉 यह स्तर सामान्यतः 15 वर्ष के बाद आता है, पर हर कोई इस स्तर तक नहीं पहुँचता।

👉 यहाँ व्यक्ति अपने नैतिक सिद्धांतों और अंतरात्मा के आधार पर निर्णय लेता है।

चरण 5 : सामाजिक अनुबंध अभिविन्यास (Social Contract Orientation)

·       व्यक्ति मानता है कि नियम समाज के लिए हैं, और अन्यायपूर्ण नियम बदले जा सकते हैं।

·       सही-गलत का आधार है – "न्याय और मानव कल्याण"

·       उदाहरण: स्वतंत्रता सेनानी अन्यायपूर्ण कानूनों का उल्लंघन करते हैं।

चरण 6 : सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत अभिविन्यास (Universal Ethical Principles Orientation)

·       व्यक्ति अपने अंतरात्मा और सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों (न्याय, समानता, मानवाधिकार) से काम करता है।

·       सही-गलत का आधार है – "सत्य और न्याय"

·       उदाहरण: गांधीजी का सत्य और अहिंसा पर चलना, चाहे इसके लिए जेल क्यों जाना पड़े।

Kohlberg’s Theory of Moral Development (Stage-wise सारणी)

स्तर (Level)

चरण (Stage)

नाम (Orientation)

मुख्य विशेषता

उदाहरण

पूर्व-पारंपरिक स्तर (Pre-Conventional)

चरण 1

आज्ञापालन और दंड (Obedience & Punishment)

सही-गलत का आधार सज़ा से बचना

बच्चा चोरी नहीं करता क्योंकि उसे मार पड़ सकती है।

चरण 2

साधनात्मक उद्देश्य (Instrumental)

सही-गलत का आधार निजी लाभ/इनाम

बच्चा दोस्त की मदद करता है ताकि बाद में दोस्त उसकी मदद करे।

पारंपरिक स्तर (Conventional)

चरण 3

अच्छे लड़के/लड़की का

सही-गलत का आधार लोग क्या सोचेंगे

बच्चा सच बोलता है ताकि उसे अच्छा बच्चा कहा जाए।

चरण 4

विधि और व्यवस्था (Law & Order)

सही-गलत का आधार नियम और कानून

ट्रैफ़िक नियम मानना क्योंकि यह क़ानून है।

परापारंपरिक स्तर (Post-Conventional)

चरण 5

सामाजिक अनुबंध (Social Contract)

सही-गलत का आधार न्याय व मानव कल्याण

स्वतंत्रता सेनानी अन्यायपूर्ण कानून का विरोध करते हैं।

चरण 6

सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत

सही-गलत का आधार अंतरात्मा व सार्वभौमिक मूल्य

गांधीजी का सत्य और अहिंसा पर चलना।


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